शॉपिंग हो तो मोटा भाई जैसी ! आखिर घर की दुकान सजानी जो है !

वैसे रिलायंस जियो ने अपना पेमेंट एप्प जियो एप्प भी लांच कर दिया है ! फिलहाल जियो फोन के तक़रीबन १००० सबस्क्राइबर्स को यह सुविधा मिल रही है , चूँकि ट्रायल एंड एरर फाइनल स्टेज में हैं ! यूपीआई पर आधारित इसमें टैप एंड पे, सेंड मनी वाया यूपीआई, जियो रिचार्ज जैसे फीचर हैं। यूजर अपनी सुविधा के अनुसार इसमें कई बैंक खाते जोड़ सकते हैं। इससे वे बिना किसी बाधा के ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। इसके पहले भी रिपोर्टस आयी थीं कि जियो अपने ३८.८ करोड़ ४ जी ग्राहकों को यूपीआई सेवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के साथ काम कर रही है। खबर है जियो ने एक्सिस, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, एसबीआई, यस बैंक, आरबीएल बैंक को अपने साथ जोड़ा है। इन बैंकों के डेबिट और क्रेडिट कार्ड (मास्टरकार्ड और वीजा) दोनों को टोकनाइज्ड और पेमेंट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
खैर, अब आते हैं असल मुद्दे पर ! मुकेश अंबानी की ये विस्तारवादी नीति है जिसका मकसद है पूरे देश की जनता को अपना सब्सक्राइबर बनाकर एक ऐसा अद्भुत बिज़नेस इकोसिस्टम खड़ा करना जिसमें हर जियो यूजर अपनी सौ फीसदी स्पेंडिंग जियो प्लेटफार्म पर ही करे और पेमेंट के लिए भी जियो पे का ही इस्तेमाल करे ! फिर वह स्पेंडिंग डोमेस्टिक हो या कमर्शियल ! आखिर मोटा भाई का यथार्थ तो यही है ना !
कई ई कॉमर्स कंपनियों का अधिग्रहण कर रिटेल सेक्टर में अपनी पहुँच मजबूत करने का इरादा है मुकेश भाई का टक्कर अमेज़न को जो देनी हैं ! शुरुआत बियानी के फ्यूचर ग्रुप के बिज़नेस मतबल आम समझ के लिए बिग बाजार से हुई जो तक़रीबन फाइनल स्टेज में हैं। कल ही नेटमेड्स का अधिग्रहण कन्फर्म कर दिया गया है और यह डील ६२० करोड़ में हुई है।तो शॉपिंग अभी जारी है, कहीं विंडो शॉपिंग की स्टेज पर है तो कहीं मोलमुलाई चल रही हैं !
फिलहाल जमकर चर्चा है जिवामे को लेकर फैशन और लॉन्जरी प्रोडक्ट्स को अपने रिटेल कारोबार में ऐड करने की ! बातचीत अंतिम दौर में है और जैसा मीडिया में बताया जा रहा है रिलायंस लॉन्जरी ब्रांड जिवामे के लिए १६ करोड़ डॉलर का भुगतान कर सकता है।

बात फर्नीचर रिटेल ब्रांड अर्बन लैडर से भी चल रही है , मिल्कबास्केट भी प्लान में शामिल है !कुल मिलाकर स्ट्रेटेजी ये है कि टोटल टेकओवर ना हो तो शुरुआत हिस्सेदारी लेने से करो ताकि मौका मिला और कंट्रोल हथिया लिया ! शिक्षा भी जियो देगी तभी तो एजुकेशन स्टार्टअप में ५०० करोड़ रूपये और इन्वेस्ट कर दिए हैं ! पिछली फ़रवरी में ही ९० करोड़ डाले थे ! पिछले दो सालों पर नजर डालें तो रिलायंस ने तक़रीबन २० स्टार्ट्सअप में स्टेक्स लिए हैं और कई छोटी कंपनियां भी हैं फेहरिस्त में मसलन आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म हेप्टिक के साथ ७०० करोड़ की डील ! क्या क्या बताएं म्यूजिक की बात करें तो ओटीटी प्लेटफार्म सावन अब जियोसावन है अमेज़न के अलेक्सा को टक्कर देने के लिए ! बंगलुरु की ड्रोन स्टार्टअप कंपनी ऑस्ट्रिया एयरोस्पेस में भी अपनी होल्डिंग ८७ फीसदी बना ली है तो भविष्य में डिलीवरी के लिए ड्रोन भी अपने ही होंगे !
वन लाइनर ऑब्जेक्शन कहें या फ्यूचर का भय कहें जहाँ फ्रीडम ऑफ़ शॉपिंग नहीं रहेगी क्योंकि दुकान जो एक ही होगी ! फिर संविधान में फ्रीडम ऑफ़ स्पीच के नियम कायदे हैं, फ्रीडम ऑफ़ शॉपिंग के तो है नहीं ! जिनिस सब मिलेंगी और हो सकता है शुरू में तमाम सहूलियतों के साथ सस्ती भी मिलें लेकिन दूर तक सोचें तो जीना है तो जियो के साथ जियो वाली घुटन घर कर जायेगी ! ईकीगाई वाली फील तो नहीं रहेगी ना ; नहीं समझ आ रहा तो फ़रवरी में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई मनीषा कोइराला वाली फिल्म मस्का देख लीजिये !