हमारा आपका बैंक सही सलामत रहे इसलिए उनका एक बैड बैंक होना चाहिए !

दरअसल हमें आपत्ति बैड शब्द से है ! यदि आईडिया कन्वर्ट होती है तो नाम हीरो बैंक या मसीहा बैंक होना चाहिए ! या फिर बॉलीवूडी भाषा में एक मसीहा निकलता है जिसे लोग शहंशाह कहते हैं तो बैड बैंक हुआ शहंशाह बैंक !
बैड बैंक एक ऐसा बैंक होता है जो कि मुख्य रूप से बैड लोन की रिकवरी में डील करता है। बैड बैंक, कमर्शियल बैंकों के एनपीए या बैड लोन को सस्ते दामों पर खरीद लेता है, फिर अपने हिसाब से इस बैड लोन की वसूली करता है। विश्व में बैड बैंक स्थापित करने का सबसे पहला विचार अमेरिका में १९८८ में दिया गया था। भारत में बैड बैंक की स्थापना का सबसे पहला विचार २०१७ के आर्थिक सर्वे में दिया गया था भले ही नाम दे दिया था पारा यानि पब्लिक सेक्टर एस्सेट रिहैबिलिटेशन एजेंसी ! फिर कभी आरबीआई ने भी नेशनल एसेट्स मैनेजमेंट कंपनी की बात की थी ; हालाँकि खुल्लमखुल्ला बैड बैंक कहने से परहेज किया था !
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने भी शायद मई में ही बात उठायी है और रेकमेंड किया था कि भारत सरकार १०००० करोड़ की पूंजी देकर बैड बैंक की शुरुआत करे !
अब एक बार फिर आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने मौजूदा हालात में ‘बैड बैंक’ की जोरदार वकालत की है और कहा है कि ये ‘न सिर्फ जरूरी हैं, बल्कि अपरिहार्य भी हैं’ क्योंकि आने वाले दिनों में एनपीए तेजी से बढ़ेगा और ज्यादातर समाधान आईबीसी(इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड) ढांचे के बाहर होंगे !
चूँकि बैड बैंक में संकटग्रस्त बैंकों के सभी बुरे ऋण या एनपीए स्थानांतरित कर दिए जाते हैं नतीजन संकटग्रस्त बैंक के बहीखाते साफ हो जाते हैं और देनदारी बैड बैंक के ऊपर आ जाती है ! उनके हिसाब से बैड बैंक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बिक्री मूल्य के बारे में फैसला लेने वाली इकाई उस कीमत को स्वीकार करने वाली इकाई से अलग होती है और ऐसे में कन्फ्लिक्ट्स ऑफ़ इंटरेस्ट और करप्शन से बचा जा सकता है।इस संदर्भ में उन्होंने मलयेशिया के डोनर बैंक या दानाहरता का उदाहरण दिया जिसे वहां की सरकार ने फंड दिया ,प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स सारे ऑपरेशन मैनेज करते हैं, काफी अच्छे प्रोविज़न्स किये गए हैं जिनके तहत इंसेंटिव भी हैं तो पेनाल्टी भी हैं !

फिर दुनिया के कई देशों में इसी अवधारणा के बैड बैंक चल रहे हैं।यूएस में तो १९८० में ही मेलोन बैंक आ गया था और फिर २००८ की मंदी के दौरान और पोस्ट २००८ क्राइसिस भी कई देश मसलन स्वीडन, फ़िनलैंड , फ़्रांस , जर्मनी ,स्पेन ,इंडोनेसिया आदि अपने अपने फ्लेवर और कलेवर में लेकिन मूल अवधारणा के इर्दगिर्द ही बैड बैंक्स लेकर आये और बैंकिंग सेक्टर की बैड लोन और एनपीए केटेगरी के लोन की क्राइसिस को बखूबी आज भी डील कर रहे हैं !
कोरोना वायरस पंडेमिक की क्राइसिस की वजह से करंट फाइनेंसियल ईयर के दौरान जीडीपी में ५ फीसदी या उससे भी ज्यादा की कमी आएगी तो एनपीए भी तेजी से बढ़ेगा। आरबीआई के पूर्व गवर्नर का इशारा भी इसी ओर है। फिर आरबीआई की फाइनेंसियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट का अंदाजा है कि बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च २०२१ में १२.५ फीसदी बढ़ सकता है जो मार्च २०२० में ८.५ प्रतिशत ही था !

भारत में अभीतक एनपीए या बैड लोन के मामले एक्सक्लुसिवली सारे के सारे आईबीसी के भरोसे छोड़े जाते हैं और चूँकि आईबीसी पहले से ही ओवरबर्डनेड हैं, अब ऐसा ही होते रहने देना कोई बुद्धिमत्ता नहीं हैं, सुब्बाराव का भी यही मानना है ! उन्होंने माना कि पहले बैड बैंक को लेकर उनकी कुछ शंकाएं थी लेकिन हाल के अनुभवों के मद्देनज़र वह इस विकल्प पर विचार कर रहे हैं।एक और बिना पर खिलाफत होती है बैड बैंक की और वह है तक़रीबन २८ एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनीज अस्तित्व में हैं फिर भी बैंक उनको अपने बैड लोन नहीं बेच पाती हैं ! लेकिन समस्या पोस्ट कोविड भयावह होने वाली है जब पता नहीं कौन सा बैंक पीएमसी बन जाय या फिर यस बैंक ! अच्छा तो यही होगा सारे बैंक मिलकर अपना एक बैड बैंक बना लें !
अब आप समझिए बैड बैंक कैसे काम करता है ? मान लीजिये पंजाब नेशनल बैंक ने १०० करोड़ का लोन दिया और रिकवरी के रूप में उसे केवल ७० करोड़ रुपये मिले अर्थात ३० करोड़ रुपये वापस नहीं आये। इस प्रकार ये ३० करोड़ रुपये उसकी अकाउंट बुक में बैड लोन या एनपीए कहलायेंगे और बैंक को इस लोन के वापस आने की कम उम्मीद है। अब यहाँ पर बैड बैंक का काम शुरू होता है। अब मान लीजिये पीएनबी इस बैड लोन को बैड बैंक को बेच देता है और बदले में २० करोड़ रुपये ले लेता है। इस प्रकार अब इस बैड लोन वसूलने की जिम्मेदारी बैड बैंक के कन्धों पर आ गयी है क्योंकि यदि बैड बैंक को यह लोन किसी कारण से वापस नहीं मिलता है तो उसे २० करोड़ रुपये का घाटा हो जायेगा। यदि इस बैड लोन को वापस वसूल लिया जाता है तो उसे १० करोड़ का फायदा हो जायेगा क्योंकि उसने ३० करोड़ का बैड लोन सिर्फ २० करोड़ में खरीदा था। दूसरे शब्दों में बैड बैंक के पास १० करोड़ का कुशन भी हैं निगोशिएट करने के लिए !
जब बैड बैंक होगा तो कमर्शियल बैंक्स अपनी कोर बैंकिंग एक्टिविटी पर पूरा ध्यान दे सकेंगे। फिर उनके वित्तीय हालात भी इम्प्रूव होंगे। हालाँकि सवाल बड़ा है कहीं यह एक तरह से ‘इसकी टोपी उसके सिर’ रखने वाली बात तो नहीं हो जायेगी !