जो हुआ सो हुआ , हम साथ साथ हैं !

कल _ _ चों वाली कमिटी (CWC) की बैठक में सोनिया गाँधी फिर से कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गयी या कह सकते हैं सोनिया गाँधी ने अपना इस्तीफा सोनिया गाँधी को सौंपा जिसे सोनिया गाँधी ने खारिज कर दिया ! अंत में सबों ने आरती भी गाई - तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो, तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो, तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे ; कोई ना अपना सिवा तुम्हारे !
इधर योगी ने चुटकी ली - माँ, बेटा, बेटी और जमाई , इसमें पूरी पार्टी समाई ! उधर कवि ह्रदय कपिल सिब्बल इतने व्यथित हुए कि उनके मुंह से बोल फूटे - अच्छा सिला दिया मेरे प्यार का; मुझे बीजेपी का एजेंट बता दिया ! और सिर्फ अल्बर्ट पिंटो को ही गुसा नहीं आता , कांग्रेस के गाँधी को भी आता है ! भावुक भी हुए ! कहा आखिर चिट्ठी तब क्यों लिखी जब मां की तबियत खराब थी ? मैं बेटा भी तो हूँ ! अब नजरिया है और फ्रीडम ऑफ़ स्पीच भी है तो किसका मुंह पकड़ियेगा ; एक भक्त मीडिया ने मिसाल दी कि तीसरी बार हारने पर लूडो में भी खिलाडी को गुस्सा आ जाता है ! एक आदर्श जॉर्नलिस्ट कम टीवी एंकर हैं राजदीप सरदेसाई जिन्हें कोई नहीं मिला तो पी चिदंबरम से ही अपनी फोटो उतरवा ली ! क्या करते बेचारे ! किसी ने उनको ट्वीट दे मारा कि मालिक है आपका भले छोटे मालिक हों तो आपको उनकी हर बात सुननी है ! किसी को उदित राज की याद आ गयी कि उन्हें ही अध्यक्ष बना दो सारे दलित वोट तो पक्के हो जाएंगे ! एक ने तो हद कर दी है ! कहता हैं मम्मी आउट तो बेटा बैटिंग करेगा और बेटा आउट तो मम्मी बैटिंग करेगी ...... _ _ चों को तो हमेशा फील्डिंग ही करनी हैं !
किस किस का जिक्र करें ? सारे दिन कॉमेडी सर्कस खूब चलता रहा और बैठक ख़त्म होने के बाद कुछेक ख़ास बागी इकठ्ठे भी हुए ! मंथन हुआ कि बीहड़ में उतरकर दस्यु कब कहलाना है ? इसी बीच कपिल सिब्बल के ट्विटर हैंडल के बदले स्वरुप पर नेटीजनों की नजर क्या गयी कयास लगाए जाने लगे कि उन्होंने भी शिष्य की राह पकड़ ली है ! ज्योतिराजे सिंधिया को हम तो उनका शिष्य ही मानते हैं ! और आज सुबह सिब्बल का ट्वीट बहुत कुछ कह जाता है जब वे कहते हैं बात पोस्ट की नहीं बात मेरे देश की हैं ! अच्छी बात है जब जागो तब सबेरा वरना तो अभीतक देश गौण ही था , सिर्फ गाँधी परिवार मैटर करता था !
दिनभर चली उबाऊ बैठक में अचानक सनसनी फ़ैल गयी जब दिल्ली कांग्रेस के नेता तंवर ने अपने लाल खून से पत्र लिखकर कहा , “श्रीमती सोनिया गाँधी जी, नमस्कार, श्री राहुल गाँधी जी ने पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा है। बुरे समय में देश के लोगों की आवाज सड़क से संसद तक उठाई है। अगर राहुल जी को अध्यक्ष नहीं बनाया गया, तो यह फैसला पार्टी हित में नहीं होगा। धन्यवाद संदीप तंवर।” क्या नेताजी सुभाषचंद बोस उनके प्रेणास्त्रोत हैं - तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा ! फिर तंवर जी तो पॉलिटिकल संदर्भ में भक्त की परिभाषा ही बदल दी वरना तो भक्त तो सिर्फ मोदी से जुड़ा होता था ! लेकिन फैक्ट ऑफ़ द मैटर किसी नेटिजन ने क्या खूब बयां किया है - एक बहुत ही गरीब परिवार में मां और बेटा रहता था ; उनके पास एक ही कुर्सी थी तो कभी बेटा बैठता था तो कभी मां !
टेलीग्राफ़ अख़बार तो प्रो कांग्रेसी है फिर भी हताशा देखिये इससे जुड़े वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार झा ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस जैसी एक बड़ी पार्टी अपनी अहम आंतरिक बैठक 'वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग' के ज़रिये करती है और उसकी 'गुप्त कार्यवाही' की पल-पल की 'रनिंग कमेंटरी' लगभग हर मीडिया पर चल रही थी ! वो लिखते हैं कि "ये दिवालियापन है !" खैर, देर आयद दुरुस्त आयद !
अब किसे दोष दें ? सच्चाई क्या है ? तो समझ लीजिये ! जिन नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है, उनकी चिट्ठी को गंभीरता से लेने के बजाय कांग्रेस के अंदर चाटुकारों की एक फौज हो गई है जो इन नेताओं को बदनाम करने में लग गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भगाने वाले दिग्विजय सिंह और सचिन पायलट को भगाने की ताक में लगे अशोक गहलोत चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को कोस रहे हैं। यानी जो मजे में है वह यथास्थिति चाह रहा है और जो हाशिए पर है, वह बदलाव चाह रहा है। महाराष्ट्र के एक मंत्री नेता की हिमाकत देखिए कह रहा है कि चव्हाण , वासनिक और देवड़ा माफी नहीं मांगेंगे तो महाराष्ट्र में घुसने नहीं देंगे !
हर कोई अपने अपने हिसाब से विश्लेषण कर रहा है लेकिन किसी की नजर नहीं गयी या फिर जान बूझकर अनजान बन गए सब ! किसी ने सबसे ज्यादा वैलिड कांस्पीरेसी थ्योरी को इंगित ही नहीं किया ! दरअसल सोनिया गाँधी की दुविधा है किसे उत्तराधिकारी चुने - बेटे को या बेटी को ? पुत्र करिश्माई साबित हुआ नहीं तो वाड्रा को ही गाँधी बनाना पड़ेगा चूँकि वही अब आगे भी निभा सकती हैं रेहान वाड्रा गाँधी को तैयार करके ! फिर कांग्रेस के सिर्फ लेटर बम वाले २३ लोग ही नहीं कई अन्यों की भी मसलन गहलोत, दिग्विजय सिंह , मनमोहन सिंह , कमलनाथ आदि की खुन्नस भी राहुल से ही हैं तो क्यों ना सोनिया एक तीर से दो निशाने साध लें ! रही राहुल की बात तो वे तो रमता योगी हैं, शादी की नहीं है, निकल पड़ेंगे विपश्यना के लिए !
दरअसल कांग्रेस की असल प्रॉब्लम तो जन जन जगजाहिर है , कोई सीक्रेट रहा ही नहीं हैं ! सिर्फ कांग्रेसी नेता हो क्यों सभी अन्य विपक्षी भी हैरान परेशान है कि आखिर इतनी परेशानियां मसलन कोविड , चीन , नौकरियां जाने के बावजूद लोग मोदी के खिलाफ क्यों नहीं जा रहे ? और इसी हैरानी परेशानी में सारे के सारे अवसाद के गहरे समुद्र में गोते लगा रहे हैं ! जरुरत है एक अदद जेपी सरीखे नेता की ! इंदिरा स्टाइल में कभी हर समस्या के पीछे विदेशी हाथ बता देने की मानसिकता कॉपी कर अपने अंदरूनी मसलों के लिए भी बीजेपी का हाथ बता देने से क्या होगा ? उल्टे फजीहत ही हो रही है ! फिर इंदिरा पावर में थी तो उनका गेमप्लान था इमरजेंसी लगाने के लिए ! यही कांग्रेस की बड़ी भूल है , ब्लंडर है जो रूलिंग गेमप्लान टाइप बीजेपी का रोल बताने की स्ट्रेटेजी बिना किसी एक्सेप्शन के अडॉप्ट कर ली है ! एक्सेप्शन तो हर रूल के होते हैं ; कम से कम अपने दशकों के लॉयल साथियों को बीजेपी का एजेंट नहीं बताते या उनके लेटर या इस सरीखी किसी भी आलोचना को बीजेपी को फायदा बताने वाली तो नहीं बताते ! सिंधिया चले गए , सचिन पायलट जाते जाते ना जाकर भी सिंधिया से ज्यादा नुकसान कर गए !

फिर सारे _ _ चे जानते हैं कोई भी नॉन गाँधी यदि प्रेजिडेंट बना या बना भी दिया गया तो उसकी नियति दुर्गति ही है ! दशकों पहले शायद इसीलिए मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण ने उपरोक्त कार्टून बनाया था !